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कोरोना वायरस: प्रथम जैविक युद्ध व भारत की रणनीति

Writer's picture: Varun Raghubir TewaitaVarun Raghubir Tewaita

मेडिकल इमर्जेन्सी घोषित कर देनी चाहिए, जिसके तहत pvt. हॉस्पिटल्ज़ को सरकार अपने अधीन करे व जनता को ना के बराबर क़ीमत पर इलाज उपलब्ध करवाए। जब संकट आने पर फ़्रीडम ओफ़ इक्स्प्रेशन सरकार के अधीन हो सकता है , फिनांशीयल इमर्जन्सी में हमारा धन सरकार के अधीन होने का प्रावधान है तो आज मेडिकल इमर्जन्सी का अमेण्डमेंदक्यूँ नहीं ? मेरा सुझाव हैं digitally इस बिल पर मीटिंग हो व बिल पारित हो । इसके अलावा लोकल स्तर पर सरकार, प्रशासन व् सामाजिक संस्थाएं मिलकर काम करेंगे ज़्यादा से ज़्यादा वालंटियर्स जोड़ें उन्हें ट्रेनिंग दी जाये तो कोरोना से हम लड़ पाएंगे।
Corona Virus: First biological warfare and India's strategy

मेडिकल इमर्जेन्सी घोषित कर देनी चाहिए, जिसके तहत pvt. हॉस्पिटल्ज़ को सरकार अपने अधीन करे व जनता को ना के बराबर क़ीमत पर इलाज उपलब्ध करवाए। जब संकट आने पर फ़्रीडम ओफ़ इक्स्प्रेशन सरकार के अधीन हो सकता है , फिनांशीयल इमर्जन्सी में हमारा धन सरकार के अधीन होने का प्रावधान है तो आज मेडिकल इमर्जन्सी का अमेण्डमेंदक्यूँ नहीं ? मेरा सुझाव हैं digitally इस बिल पर मीटिंग हो व बिल पारित हो । इसके अलावा लोकल स्तर पर सरकार, प्रशासन व् सामाजिक संस्थाएं मिलकर काम करेंगे ज़्यादा से ज़्यादा वालंटियर्स जोड़ें उन्हें ट्रेनिंग दी जाये तो कोरोना से हम लड़ पाएंगे।


सामाजिक प्राणी होते हुए भी प्रत्येक व्यक्ति की ज़िंदगी में अति आवश्यक हो गया है ‘SOCIAL DISTANCING’, जिसका प्रमुख कारण है भारत का प्रथम जैविक युद्ध, कोविड - 19। बिना अस्त्र शस्त्र के प्रत्येक के जीवन तबाही मचाने वाला अंतर्रष्ट्रीय शत्रु। लेकिन सवाल ये है कि भारत कितना तैयार है इस पर विजयघोष का शंख बजाने के लिए ।

सबसे पहले, 22 मार्च को पीएम द्वारा आग्रह पर जनता कर्फ्यू लगा, जिसके उपरांत उन्होंने अपने भाषण में जिम्मेदार योगदान के लिए भारतीय जनता की प्रशंसा भी की और 24 मार्च को राष्ट्र को फिर से चेतावनी दी कि कोरोना वायरस इतनी तेजी से फैल रहा है, कि उनके सभी प्रयासों के बावजूद चुनौती बढ़ रही है। एहतियात के तौर पर, उन्होंने महामारी से निपटने और संक्रमण के चक्र को तोड़ने के लिए ’सामाजिक दूरी’ बनाए रखने की अपील भी की व फिर स्थिति को देखते हुए, 21 दिनों के लिए लॉकडाउन लागू किया।


"उन दिनों,ऐसा लग रहा था कि हम कोरोनावायरस से सुरक्षित हैं। लेकिन ये ग़लत साबित हुआ।


आज देश भर की स्थिति यह है कि प्रतिदिन लगभग 8 से 10 हजार मामले पॉजिटिव आ रहे हैं और राजधानी दिल्ली, जहं 400 से 500 मामले सामने आते थे, वहां अब हर रोज़ 1200 मामले सामने आ रहे हैं ।केंद्र और राज्य सरकारें अपनी क्षमता अनुसार ज्यादा से ज्यादा लोगों के कोरोना टेस्ट करवा रही हैं ताकि स्थिति पर समय रहते नियंत्रण पाया जा सके लेकिन कोविड -19 का संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा है और चूंकि भारत की आबादी बहुत है, तो सरकारों को स्थिति संभालने में दिक्कत हो रही है और विशेषकर ऐसे इलाकों में जहां आबादी इलाके से ज्यादा है ।

वहीँ जहाँ दूसरी और हरियाणा सुरक्षित दीखता था आज रिवर्स गिनती शुरू हो गई है। हालत इतनी गंभीर हो चुकी है की इससे मृत्यु दर भी दिन प्रतिदिन खूब बढ़ रही है। ऐसे में मेरी जिला स्तर पर प्रशासन, सांसद, विधायक व् ग्राम प्रधानों से निवेदन व् सुझाव है की वो अपने स्तर पर अपने अपने एरिया में प्रशासन की मदद से सेफ जगहों को महारष्ट्र की तर्ज़ पर ट्रीटमेंट सेण्टर बनायें, वालंटियर्स को ट्रेनिंग दें, इलाके की समाज सेवी संस्थाओं को साथ जोड़ें, क्यूंकि अब कोरोना से लड़ना केवल डॉक्टर्स व् नर्सेज तक ही नहीं रह गया है। भारत अब तक कोरोना वायरस की इस लड़ाई में खुद को संभाले हुए था, परंतु अब यह वायरस पहुंच से बाहर होता दिख रहा है । ऐसे में समाज को मिलकर समाज की रक्षा करनी होगी।

एक लेख के अनुसार, अभी तक भारत में कोरोना के लगभग 3 लाख से ऊपर मामले सामने आ गए हैं, जिनमें से अमूमन 10 हजार लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और करीब 1 लाख 50 हजार लोग रिकवर भी कर लिए गए हैं, लेकिन सभी को जानते हैं की हालत इससे ज़्यादा गंभीर है। बावजूद, लगातार दो महीने के लॉकडाउन के बाद अब सरकार ने उन सभी सेवाओं को खोलने का निर्देश दे दिया है, जो बंद थी और साथ ही साथ लोगों को जागरुक रहकर काम करने का सुझाव दिया है । क्योंकि अब न सिर्फ जान पर संकट है बल्कि अर्थव्यवस्था को भी पटरी पर लाना एक बहुत बड़ी चुनौती है ।

लेकिन ज्ञात हो की, अब भारत में कोरोना वायरस की वर्तमान स्थिति बहुत विकट है और जानकारों का कहना है कि अभी यह और गंभीर होगी और डब्लूएचओ ने भी इस बात की पुष्टि की है।ऐसे में मेरा मानना है की करीब एक महीने का कड़ा लॉक डाउन अवश्य जारी रखना चाहिए क्यूंकि खाद्यानो में भारत सरकार को कोई कमी नहीं है। बाकि जान है तो जहांन है। लगातार इतनी भयावह स्थिति में कड़ा लॉकडाउन होना अति आवश्यक , हालांकि अर्थव्यवस्था को संतुलित रखने के लिए सरकार ने शराब की बिक्री को हरी झंडी दी और यह प्रयोग काफी हद तक सफल भी हुआ, लेकिन इस समय ऐसा करना ठीक नहीं है।बल्कि ऐसे में मेरा सुझाव है की मेडिकल इमर्जेन्सी घोषित कर देनी चाहिए, जिसके तहत pvt. हॉस्पिटल्ज़ को सरकार अपने अधीन करे व जनता को ना के बराबर क़ीमत पर इलाज उपलब्ध करवाए। जब संकट आने पर फ़्रीडम ओफ़ इक्स्प्रेशन सरकार के अधीन हो सकता है , फिनांशीयल इमर्जन्सी में हमारा धन सरकार के अधीन होने का प्रावधान है तो आज मेडिकल इमर्जन्सी का अमेण्डमेंदक्यूँ नहीं ? मेरा सुझाव हैं digitally इस बिल पर मीटिंग हो व बिल पारित हो । इसके अलावा लोकल स्तर पर सरकार, प्रशासन व् सामाजिक संस्थाएं मिलकर काम करेंगे ज़्यादा से ज़्यादा वालंटियर्स जोड़ें उन्हें ट्रेनिंग दी जाये तो कोरोना से हम लड़ पाएंगे।


अंत में मैं यही कहूंगा कि COVID-19 कोई राष्ट्रीय सीमाओं, किसी राजनीतिक व्यवस्था और किसी सांस्कृतिक मूल्यों का सम्मान नहीं करता है। सम्पर्क में आने पर यह हमें केवल अपने चंगुल में ले ही लेता है। हम सब को मिलकर महामारी का सामना करना है, इसे मिलकर हराना है। यह एक आसान समय नहीं है। लेकिन हम इससे उबार पाएंगे जब हम खुद को लॉक डाउन रखेंगे, नियमो का पालन करेंगे। अपने स्वास्थ्य और अपने परिवार के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए घर पर रहें, अपने साथ साथ अपने आस पास का ध्यान रखे।


वरुण रघुबीर तेवतिया

वरुण - एक गूँज

मानव सशक्तिकरण संस्थान

अध्यक्ष

पृथला, यूथ कांग्रेस

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